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Sunday 17 December 2017

किसी रोज़ तेरी हँसी चुरा लूँगा

किसी रोज़ तेरी हँसी चुरा लूँगा
अकेले में बैठ फिर फिर सुनूँगा

भौंरों से कलियों से तितली से 
तू  है सबसे जुदा सबसे कहूँगा

सारी दौलत लुटा दूंगा, मुकेश,
इक तेरी यादें किसी को न दूँगा 

मुकेश इलाहाबादी ------------

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