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Thursday 21 December 2017

हम सो न सके इसके बाद

हम सो न सके इसके बाद
तुमसे दोस्ती होने के बाद
कल, मै बहुत देर खुश रहा
तुझसे हाथ मिलाने के बाद
आँखों - आँखों में कटी रात
मुलाक़ात के वायदे के बाद
सिर से बोझ सा उतर गया
तुझको ग़म बताने के बाद
चला जाऊंगा महफ़िल से ही
बस ये ग़ज़ल सुनाने के बाद
लौट के कौन आता है यंहा
इक बार मौत आने के बाद
मुकेश इलाहाबादी -----------

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