तू मुझसे रूठे मै तुझे मनाऊँ
तेरे बालों में हरश्रृंगार लगाऊँ
गीत नज़्म ग़ज़ल रुबाई या
फिर तुमको लतीफा सुनाऊँ
कभी तुझको गुद गुदाऊँ तो
कभी बाँहों में झूला झुलाऊँ
तू जिस बात से खुश होजाये
मुकेश वही बातें तुझे सुनाऊँ
मुकेश इलाहाबादी ------------
तेरे बालों में हरश्रृंगार लगाऊँ
गीत नज़्म ग़ज़ल रुबाई या
फिर तुमको लतीफा सुनाऊँ
कभी तुझको गुद गुदाऊँ तो
कभी बाँहों में झूला झुलाऊँ
तू जिस बात से खुश होजाये
मुकेश वही बातें तुझे सुनाऊँ
मुकेश इलाहाबादी ------------
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