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Monday 15 January 2018

हर रात तुम्हारे ख्वाब कुछ कह जाते हैं

हर रात तुम्हारे ख्वाब कुछ कह जाते हैं
शुबो मेरे होंठ ग़ज़ल सा गुनगुना लेते हैं

तुम हमसे लब से तो कुछ नही कहते हो
थरथराते हुए लब बहुत कुछ कह देते हैं

यूँ  तो आदतन तुम खामोश ही रहती हो
गर हँसती हो तो भौंरे फूल समझ लेते हैं

गर मेरे चले जाने से तुम खुश रहती हो
यकीनन मै चला जाऊँगा, मै कहे देता हूँ

मुकेश इलाहाबादी -------------------------

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