शहर
भर में राजा की डुगडुगी बज रही है
सिपाही चाक -चौबंद हैं
घोड़े हिनहिना रहे हैं
गधे पूँछ हिला रहे हैं
रियाया सिर झुकाये चल रही है
सभी दिशाएं खामोश हैं
जो नहीं थी
उन्हें भी खामोश करा दिया गया है
बोलने की इजाज़त सिर्फ राजा को है
और मुस्कुराने की उसके मंत्रियों की
बाकी जनता को सिर्फ
राजा के मन की बात सुनने का आदेश है
बाकी देश में सब खुशहाली है
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
भर में राजा की डुगडुगी बज रही है
सिपाही चाक -चौबंद हैं
घोड़े हिनहिना रहे हैं
गधे पूँछ हिला रहे हैं
रियाया सिर झुकाये चल रही है
सभी दिशाएं खामोश हैं
जो नहीं थी
उन्हें भी खामोश करा दिया गया है
बोलने की इजाज़त सिर्फ राजा को है
और मुस्कुराने की उसके मंत्रियों की
बाकी जनता को सिर्फ
राजा के मन की बात सुनने का आदेश है
बाकी देश में सब खुशहाली है
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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