ज़रा सी बात पे खटपट कर बैठे
फिर हमसे वे दूर दूर रह कर बैठे
पहली मुलाकात हुई, जब उनसे
हया के घूँघट में सिमट कर बैठे
पहले तो हुईं इधर-उधर की बातें
फिर हमारे नज़दीक आ कर बैठे
इक दिन ऐसा भी आया कि, वे
हमारे सीने से लिपट कर बैठे
उनकी तुनकमिज़ाज़ी ही है जो
आज हम उनसे बिछड़ कर बैठे
मुकेश इलाहाबादी --------------
No comments:
Post a Comment