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Tuesday 13 November 2018

घर खो गया है

कई
साल हुए मेरा घर खो गया है
आधी कच्ची
आधी पक्की दीवारों का
खपरैल वाला घर
बुरादे वाले वाली अंगीठी
कच्ची मिट्टी के चूल्हे वाला घर
पिता की धनक
माँ की महक
भाई बहनो की चहक
मामा - मामी , बुआ - फूफा
ताई - ताऊ - मौसी मौसा
तमाम रिश्तेदारों की आवाजाही से
भरापूरा घर
दादा जी की छड़ी
दादी की पूजा की थाली और तुलसी की माला
पिताजी जी की पुरानी हिन्द साइकिल
माता जी का वो भूरा शॉल
(जिसे वो सालोँ साल नया वाला शॉल कहती थीं )
दुछत्ती पे छुपा के
रखी रहती थी लूटी हुई पतंगे - चरखी
आँगन के कोने में
बहन का घरौंदा
छोटे - छोटे खिलौनों वाली गृहस्थी
पड़ोसियों की बेलाग आवाजाही
तमाम अभावों और कमियों के बीच भी
वो कच्ची दीवारों का
पक्का माकन कहीं खो गया है
हमारा
कई साल पहले
मुकेश इलाहाबादी --------------------

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