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Wednesday 28 November 2018

नदियां पाटते पहाड़ काटते जाएंगे

नदियां पाटते पहाड़ काटते जाएंगे
हम सिर्फ तबाही का मंज़र पाएंगे

ज़ुबान होगी मगर बोल नहीं पाएंगे
हमारे सारे अलफ़ाज़ गूंगे हो जाएंगे

इंसानियत जिस तरह दम तोड़ रही
इंसान एक दिन पत्थर के हो जाएंगे 

अभी वक़्त है धरती बचा लो वरना 
बरबादी देवता भी नहीं बचा पाएंगे

जिस तरह हम बर्बर होते जा रहे हैं
फिर से हम गुफाओं में पाए जायेंगे

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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