मुझे अपने दर्दो ग़म का कोइ पता न था
मै तो तुम्हारे ख्वाब देख रहा था,खुश था
तुम बाएँ हो के बैठे, मेरी कीमत बढ़ गयी
उसके पहले तलक तो मै फक्त सिफर था
तुमने होश दिलाया तो जा के होश आया
वर्ना मुझे क्या मालूम था मै किधर था
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
मै तो तुम्हारे ख्वाब देख रहा था,खुश था
तुम बाएँ हो के बैठे, मेरी कीमत बढ़ गयी
उसके पहले तलक तो मै फक्त सिफर था
तुमने होश दिलाया तो जा के होश आया
वर्ना मुझे क्या मालूम था मै किधर था
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
No comments:
Post a Comment