Pages

Friday 1 February 2019

वही शख्श मुझको रुला के गया

वही शख्श मुझको रुला के गया
जो व्यक्ति मुझको हंसा के गया

कभी झील तो कभी दरिया बना
हर बार मेरी प्यास बुझा के गया

सोचा था चुप रहूँगा उम्रभर मगर
मेरे होठों पे सरगम सजा के गया

रेत् पे चित्र बनाए, साथ जिसके
वही तेज़ हवा बन मिटा के गया 

धोखा दे के गया, कोईं बात नहीं 
वो दुनियादारी तो सीखा के गया

मुकेश इलाहाबादी ---------------



No comments:

Post a Comment