मीठे
शब्दों की चासनी में
अपने स्वार्थ को नहीं परोसने से बेहतर
मै बना रहना चाहता हूँ
कड़वी नीम की पत्ती
भले तुम उसे थोड़ा चबा के थूंक दो
पर जिसकी तासीर तो तुम्हारे लिए
स्वास्थ्य वर्धर्क तो होगी
अब ये तुम्हे तय करना है
तुम्हे क्या पसंद है
मुकेश इलाहाबादी --------------------
शब्दों की चासनी में
अपने स्वार्थ को नहीं परोसने से बेहतर
मै बना रहना चाहता हूँ
कड़वी नीम की पत्ती
भले तुम उसे थोड़ा चबा के थूंक दो
पर जिसकी तासीर तो तुम्हारे लिए
स्वास्थ्य वर्धर्क तो होगी
अब ये तुम्हे तय करना है
तुम्हे क्या पसंद है
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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