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Friday, 19 July 2019

ले आओ कुदाल खोदो और निकालो मुझे

ले
आओ कुदाल
खोदो
और निकालो मुझे
पहले
बहुत पहले दब चुका हूँ
उदासी, तन्हाई और बेचैनी की ठंडी बर्फ के तले
चूँकि बर्फ़ एक बहुत अच्छा प्रिसर्वर है
इसी लिए अभी तक, 'मै'
गला नहीं
सड़ा नही
मरा नही
अभी भी मेरे जिस्म की त्वचा मुलायम है
मेरी धड़कने बंद ज़रूर हैं
पर थोड़ी भी तपन पा के
फिर से धड़कनें के लिए व्याकुल हैं
इसलिए तुम
खोदो और खोदो
अंटार्टिका सी मेरे वज़ूद पे जमी बर्फ को
क्यूँ कि
एक बार फिर मै जीना चाहता हूँ
ताकि प्यार कर सकूँ पूरी त्वरा के साथ
पेड़ को
पहाड़ को
झरनों को
बुलबुल को
और तुम्हें
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,

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