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Friday, 19 July 2019

मै देखूँगा

अब
मै देखूँगा
तुम्हारे बिन
इठलाते हुए फागुन को
भीगते हुए सावन को
रूठी हुई सर्दियों को
और रोती हुई गर्म रातों को
अब मै देखूँगा तुम्हारे बिन
खुद को रोते हुए
और बहुत कुछ
और भी बहुत कुछ
मुकेश इलाहाबादी,,,,,

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