मैंने,
ऐतबार किया
ख़ुद को
बर्बाद किया
ऐतबार किया
ख़ुद को
बर्बाद किया
दिल
का सूरज बुझा
दिन को
रात किया
का सूरज बुझा
दिन को
रात किया
जला
कर अपने को
ख़ुद को
अंगार किया
कर अपने को
ख़ुद को
अंगार किया
ईश्क़
ही ईश्क़ किया
गल्ती
बार बार किया
ही ईश्क़ किया
गल्ती
बार बार किया
आराम
मैंने
मौत के
बाद किया
मैंने
मौत के
बाद किया
मुकेश इलाहाबादी ---
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