मै उसको हंसाता रहा खिलखिलाता रहा
और वो मुझे फ़क़त जोकर समझता रहा
और वो मुझे फ़क़त जोकर समझता रहा
इश्क़ की बाज़ी में उसके लिए प्यादा था
उसकी अदाओं के मोहरों से पिटता रहा
उसकी अदाओं के मोहरों से पिटता रहा
उसने कहा था इक दिन मुलाकात करेंगे
फिर ता उम्र उसका इंतज़ार करता रहा
फिर ता उम्र उसका इंतज़ार करता रहा
मुझे लगा उसकी आखों में मीठी नदी है
और मै प्यास को लिए दिए चलता रहा
और मै प्यास को लिए दिए चलता रहा
उसने कहा मुझे शरारे अच्छे लगते हैं
मुकेश तब से मै सूरज सा दहकता रहा
मुकेश तब से मै सूरज सा दहकता रहा
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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