Pages

Tuesday 27 October 2020

मछलियाँ

 अपने

गुलाबी
और कभी रंग बिरंगे डैनो से
तैरते और गलफड़ों से
पानी के बुलबुले छोड़ते हुए
मछलियाँ
आराम से तैरती रहती हैं
जल में
बिना ये सोचे वो
समंदर के अथाह जल में
तैर रही है या
उस नदी में जो
हिमालय से लेकर
गंगा सागर तक फ़ैली है
या किसी रेगिस्तान में सूख जाने
वाली बरसाती नदी या नाले में
या कि
छोटी और छोटी होती नदी में
जो छोटी होती है
इतनी छोटी कि
उस नदी के तट
काँच के एक्वैरियम की
दीवारों में सिमट जाती है
हालाकि
मछली ये भी जानती है
कि उसे तो एक न एक दिन
किसी मछुवारे के जाल में फंसना ही है
या किसी मगरमच्छ का
ग्रास बनना ही है
या फिर किसी तूफ़ान में
नदी से छिटक
रेत् में तड़फ - तड़फ
दम तोडना है
मुकेश इलाहाबादी --------------

1 comment:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (३१-१०-२०२०) को 'शरद पूर्णिमा' (चर्चा अंक- ३८७१) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

    ReplyDelete