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Friday 22 September 2023

मै धूसर रँग

 मै धूसर रँग

जिसे समुन्द् सा हरा
आसमान सा आसमानी
धरती सा धानी बनाना चाहता हूंँ
हे प्रकृति तुम मुझे हजार हजार रँग दो
ताकि रंग बिरंगी चुनरी बन
ज़िंदगी के गले लग जाऊँ
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,
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