Pages

Monday, 20 February 2012

ख्वाब हैं की जिद किये बैठे हैं

बैठे ठाले की तरंग,-----------------

ख्वाब  हैं की जिद किये बैठे  हैं 
जाने किस फिक्र को लिए बैठे हैं 

चाँद  जब उगेगा,  तब  हम  उगेंगे
सितारे भी अजब जिद किये बैठे हैं  

कभी  तो  कोंई  तो  मनाने  आएगा
वे  इसी  बात  को  लिए  दिए बैठे हैं  

नाराजगी  है  उन्हें  ज़माने  भर  से
न  जाने  क्यूँ   खफा हमसे  बैठे हैं  

कभी  तो  दरिया  इधर से  गुजरेगा 
सहरा में अबतक ये जिद लिए बैठे हैं 

मुकेश इलाहाबादी ---------------------

No comments:

Post a Comment