एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 30 April 2012
ज़माना कहता है जिसे ज़ख्म, कहने दो
बैठे ठाले की तरंग ---------------------
ज़माना कहता है जिसे ज़ख्म, कहने दो
हम तो इसे मुहब्बत का ईनाम कहते हैं
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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