बैठे ठाले की तरंग ----------------
ज़मीं पे कहे तो सितारे उगा दूं
आसमां पे भी मैबहारें खिला दूं
इक बार तू अपनी रज़ा तो बता
खुदा कसम मै सारा जहां हिला दूं
चाहूं तो पर्वत के सीने को चीर कर
सहरा में भी मै इक नदी निकाल दूं
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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