बैठे ठाले की तरंग -------------------------
मुहब्बत का तुम्हारी बस इतना मज़ा है
इक एहसास गुनगुना गुनगुना सा रहता है
तन्हाईयों में भी दिल उदास नहीं होता
दिल में हर वक़्त सितार सा बजा रहता है
दरीचे हमारे घर के बंद है,सभी फिर भी
जाने क्यूँ खुशबुओं से घर महकारहता है
मुहब्बत का तुम्हारी बस इतना मज़ा है
इक एहसास गुनगुना गुनगुना सा रहता है
तन्हाईयों में भी दिल उदास नहीं होता
दिल में हर वक़्त सितार सा बजा रहता है
दरीचे हमारे घर के बंद है,सभी फिर भी
जाने क्यूँ खुशबुओं से घर महकारहता है
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
सुंदर...............
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regards.