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Monday 18 June 2012

एक शब्द चित्र ----------------


 एक शब्द चित्र ----------------

(पूने जम्मूतवी एक्सप्रेस ट्रेन )
सामने की बर्थ,
जिसपे यह आदमी सोया है
अभी अभी
रात सोयी थी एक सुन्दर लडकी
मासूम और खूबसूरत सी
खरगोश सा रंग
चूहे सी चंचल आखें
व भूरे बालों वाली वह लडकी
नीली जींस व आसमानी टॉप में
बिना किसी मेकप के भी
खूबसूरत लग रही थी
जो अपनी माँ से नाराज़ थी
वह मोबाइल से गाना सुनना चाह रही थी
पर माँ नहीं दे रही थी, शायद उसे
डर था वह अपने बॉयफ्रेंड से बात करेगी
थोड़ी देर रूठने मनाने के बाद
वह इसी बर्थ पे सो गयी थी
रूठ कर अपनी माँ से ---
सुबह लडकी भोपाल के स्टेशन पर
उतर चुकी है --
अपनी माँ के साथ
खिड़की के अन्दर से
मैंने उसे देखा था
पर उसने मुझे नहीं देखा
मै उसे और उसकी
खूबसूरत मासूम आखों में
रात का गुस्सा पढ़ रहा था ---
और ----
रेलगाड़ी रेंग चुकी थी
कुछ देर बाद मेरे ज़ेहन से
यह बात खो जायेगी
जिस तरह वह लडकी
स्टेशन के प्लेटफार्म की भीड़ में
खो गयी है
अभी अभी

मुकेश इलाहाबादी ---------------




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