Pages

Thursday, 14 June 2012

तेरा चेहरा किताब है


बैठे ठाले की तरंग ------

तेरा चेहरा
किताब है
कविता है
शब्द है --
पढ़ लूं
हर्फ़ दर हर्फ़



तेरा चेहरा
गुलाब है
सुर्ख है
नर्म है
सूंघ लूं
सांस दर सांस

मुकेश इलाहाबादी ------

No comments:

Post a Comment