एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 27 August 2012
सच, हमारी मुहब्बत की गवाही ज़र्रा ज़र्रा देता है
सच, हमारी मुहब्बत की गवाही ज़र्रा ज़र्रा देता है
भले ये बेरुखी हवाएं हों या फिर ये बेवफा मौसम
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------
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