एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 9 August 2012
सूरज
सूरज
जलता है
किसी के विरह मे
या फिर
तपता है
अपनी ही आग मे
और
चाँद
के मुह मे पड़ गयी है
झाईयां
या फिर
दामन मे लग गया है
कोइ दाग
मुकेश इलाहाबादी ---------
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