अपना कह सकूं ऐसा कोई,
अपना कह सकूं ऐसा कोई,
जहां मे कोई हमारा न हुआ
राह मे मिल गया था अजनबी
काम तो आया हमारा हुआ न हुआ
कागजी सही फूल खिले तो हैं
अब गुलशन हमारा हुआ न हुआ
सब उसे मेरा महबूब कहते थे
भले बेवफा हमारा हुआ न हुआ
अब तुम तो हमारे हो गये मुकेश
भले सारा जहां हमारा हुआ न हुआ
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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