एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Saturday, 6 October 2012
कौन मिटाना चाहता है तेरे दिए ज़ख्मो के निशा
कौन मिटाना चाहता है तेरे दिए ज़ख्मो के निशा
रख लिया है तेरी यादों के गुल हमने मरहम पे -
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
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