एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Tuesday, 2 October 2012
सुन कर तेरा ज़लवा
सुन कर तेरा ज़लवा ऐ हुस्न हैराँ है ज़माना
सोचता हूँ,नकाब उलट जाए तो क्या होगा ?
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment