एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 17 December 2012
क्या हुआ जो गिरती रही ज़र्द पत्तियाँ
क्या हुआ जो गिरती रही ज़र्द पत्तियाँ कब्र पर मेरी
हम ये समझे कि चलो मज़ार को नई चादर मिली !
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------
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