जाने किस आग में जलता है फ़लाश ?
जल जल के भी खिलखिलाता है फ़लाश
आफताब की रोशनी में जलता है फ़लाश
फिर सुर्ख अंगारे सा दहकता है फ़लाश
धूप मे तपा हुआ तेरा चेहरा जो देखूं
रह रह के मुझको याद आता है फ़लाश
दरिया ऐ मुहब्बत में उतरा था एक बार
उस दिन से आजतक दहकता है फ़लाश
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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