रात तूफानी कटने तो दो
थोड़ी सी सहर होने तो दो
वे कुछ और इंतज़ार करलें
मुहब्बत परवान चढ़ने तो दो
भले काट लो तुम सर मेरा
मुझे सच बात कहने तो दो
हवाएं अब क्यूँ नहीं बहतीं
कुछ औ जंगल कटने तो दो
महफ़िल मे जान जायेगी
ज़रा मुकेश को आने तो दो
मुकेश इलाहाबादी -----------
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