कश्तियों के पाल सम्हलते नही
हवाओं के रुख भी बदलते नहीं
ज़िन्दगी से कर लिया किनारा
अब किसी बात से डरते नही
लहरें रह रह के सर पटकती हैं
ये बात साहिल समझते नहीं
डूब के क्या करोगे मुकेश,अब
समंदर से मोती निकलते नही
हवाओं के रुख भी बदलते नहीं
ज़िन्दगी से कर लिया किनारा
अब किसी बात से डरते नही
लहरें रह रह के सर पटकती हैं
ये बात साहिल समझते नहीं
डूब के क्या करोगे मुकेश,अब
समंदर से मोती निकलते नही
मुकेश इलाहाबादी -------------
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