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Tuesday 9 April 2013

तेरी बेरुखी से तेरी बज़्म से उठ उठ हर के चला जाता हूँ


तेरी बेरुखी से तेरी बज़्म से उठ उठ हर के चला जाता हूँ
फिर -२  जाने क्या सोच के वापस वापस चला  आता हूँ
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------------------

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