तेरी जुल्फों मे ये गेंदा गुलाब सजा दूं क्या
हथेली पे तेरा नाम लिख के चूम लूं क्या ?
आसमॉ सा तेरा ऑचल बादल तेरी जुल्फें
कहो तो तोड़ के चॉद सितारे सजा दूं क्या
अपने ही खयालों मे मुंस्कुरा रही हो तुम
चुपके से बाहों मे ले के तुझे चौंका दूं क्या
विरह गीत क्यूं गा रही हो तुम इस तरह
गा के गीत मिलन के तुझको हंसा दूं क्या
अब तक तुमने बहुत जुल्म सहे जमाने मे
छुई मुई की जगह तुझे दुर्गा बना दूं क्या ?
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
No comments:
Post a Comment