एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Saturday, 13 April 2013
चाँद से चाहत की आरज़ू की थी, कि
चाँद से चाहत की आरज़ू की थी, कि
अब फलक से टूटा हुआ सितारा हूँ मै
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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