Pages

Friday, 12 April 2013

जीने के ख्वाब खुली आखों से देखना बेहतर

जीने के ख्वाब खुली आखों से देखना बेहतर
अच्छे ख्वाब अक्सर नींद छीन लेते हैं
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------

No comments:

Post a Comment