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Friday, 5 April 2013

माना बातचीत मे मीठा था


माना बातचीत  मे  मीठा था
पर शख्श बहुत ज़हरीला था

सूरत से तो था भोला भाला
पर आदत से नखरीला था

था उसने किया बहुत इशारा
मै ही थोड़ा थोड़ा शर्मीला था

होठ मूँगिया बात रसीली औ
आँचल उसका नीला नीला था

चम्पई चम्पई चेहरा था पर
कुर्ते का खुब रंग चटकीला था

माना दर पे उसके ज़न्नत थी
पै  पंथ प्रेम बहुत पथरीला था

मुकेश इलाहाबादी ------------
 

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