माना बातचीत मे मीठा था
पर शख्श बहुत ज़हरीला था
सूरत से तो था भोला भाला
पर आदत से नखरीला था
था उसने किया बहुत इशारा
मै ही थोड़ा थोड़ा शर्मीला था
होठ मूँगिया बात रसीली औ
आँचल उसका नीला नीला था
चम्पई चम्पई चेहरा था पर
कुर्ते का खुब रंग चटकीला था
माना दर पे उसके ज़न्नत थी
पै पंथ प्रेम बहुत पथरीला था
मुकेश इलाहाबादी ------------
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