मुहब्बत के दो चार फूल खिलने दो
दिल की ज़मीं पे एहसास बोने दो
उनके चेहरे पे बेचैनी झलकती है
कुछ देर और इंतज़ार करने दो
ले तो लूंगा अपनी बाहों मे उन्हें
दिले मासूम की बेकरारी बढ़ने दो
शबे हिज्र होती है कितनी लम्बी ?
ज़रा ये बात उन्हें भी जान लेने दो
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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