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Sunday, 14 April 2013

जलवाए हुस्न और अदाओं से मस्ती बिखेर देते हैं

जलवाए हुस्न और अदाओं से मस्ती बिखेर देते हैं
लिखने वाले ऐसे भी हैं कलम से पत्थर तोड़ देते हैं
सूना है प्यारे दुनिया मे कुछ ऐसे जलवागर हुए हैं
इक टिड्डी की फ़रियाद पे ही समंदर सोख लेते हैं
ढूंढो तो ऐसे भी सिकंदर मिल जायेंगे तुमको प्यारे
जो अपनी तलवार के डी दम पे दुनिया लूट लेते हैं
आशिक भी कम नहीं मिलेंगे तुमको दुनिया में जो
माशूक की खातिर फलक से चाँद सितारे तोड़ लेते हैं
कुछ लोग बाजुओं के दम पे दरिया का रुख मोड़ देते हैं
हम तो फ़कीर ठहरे दुआओं मे इतना असर रखते हैं
मुकेश इलाहाबादी ------------------------------
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