मेरा एक नज़रिया तेरे बारे मे,
तुम चुप चुप अच्छी लगती हो
बाते करती अच्छी लगती हो
लहरा के चलो जब लट अपनी
हिलती डुलती अच्छी लगती हो
बहरहाल तुम तो मुझको अब
हर सूरत मे अच्छी लगती हो
मुकेश इलाहाबादी -------------
तुम चुप चुप अच्छी लगती हो
बाते करती अच्छी लगती हो
लहरा के चलो जब लट अपनी
हिलती डुलती अच्छी लगती हो
बहरहाल तुम तो मुझको अब
हर सूरत मे अच्छी लगती हो
मुकेश इलाहाबादी -------------
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