एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 7 April 2013
मुक्त केश संदल त्वचा गहरी श्यामल आँख
मुक्त केश संदल त्वचा गहरी श्यामल आँख
अब हम गोरी छोड़ के कैसे जाएँ तेरा ठाँव
ये नीम की छहियाँ और तेरी मीठी बतियाँ
हमसे तो अब न छोड़ा जाए गोरी तेरा गाँव
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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