Pages

Monday, 29 April 2013

ये अलग बात कि सह गया चोट ज़माने भर की



ये अलग बात कि सह गया चोट ज़माने भर की
वरना जिस्म हमारा भी  पत्थर का न था
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------

No comments:

Post a Comment