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Sunday 21 July 2013

गोरी पनघट पर आओ तुम

गोरी पनघट पर आओ तुम
दरिया हूं भर ले जाओ तुम

चॉद सितारा बन चमका हूं
आंगन मे आ के नाचो तुम

बनके फूल मोगरा महका हूं
गूंथ के गजरा सजा लो तुम

प्रिय सावन का मै झूला हूं
अब प्रेम पींग बढा लो तुम 










प्रेम नगीना बन के आया हूं
कंठ हार मे जडवा लो तुम

मुकेष इलाहाबादी ...........

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