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Sunday 21 July 2013

तुम भी अजब यार लगते हो

तुम भी अजब यार लगते हो
मुहब्बत के बीमार लगते हो

किसी के ग़म मे हो शायद ?
उजडे से बरखुरदार लगते हो

बडे अपनेपन से बात करते हो
तुम इंसान तमीजदार लगते हो

रिश्तों मे फासला भी रखते हो
मियॉ बडें दुनियादार लगते हो

मुकेश जमाना तुमसे भीहै खफा
तुम सच के तरफदार लगते हो

मुकेश  इलाहाबादी .............

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