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Thursday, 16 July 2020

बात दोनों तरफ हो तो मज़ा देता है

बात दोनों तरफ हो तो मज़ा देता है 
वर्ना इक तरफ़ा ईश्क़ सजा देता है 

रात वस्ल की हो या फिर हिज़्र की
ईश्क़ तो आँखों को रतजगा देता है 

ईश्क़जादों को जलने का नहो खौफ 
ईश्क़ इन्सा को परवाना बना देता है 

गोरा हो काला हो कि छोटा या बड़ा 
सच्चा ईश्क़ तो हरभेद मिटा देता है 

ख़ुदा से हो या फिर उसके बन्दे से 
ईश्क़ वो शै जो दीवाना बना देता है 

मुकेश इलाहाबादी ----------------

5 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (१८-०७-२०२०) को 'साधारण जीवन अपनाना' (चर्चा अंक-३७६६) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. Very nice post....
    Welcome to my blog...

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  4. बढ़िया रचना

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