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Tuesday 13 May 2014

बगैर चराग़ तुम रोशनी न पाओगे

बगैर चराग़ तुम रोशनी न पाओगे
मै अँधेरा हूँ मुझे हर जगह पाओगे

जा रहे तो जाओ अब न मनाऊँगा
लौट के तुम फ़िर मेरे पास आओगे

यकीनन लोग बात करेंगे फलक की
मेरे पास तो फ़क़त मुहब्बत पाओगे

माना कि मै समंदर सा गहरा नही
मगर प्यास के लिये आब पाओगे

भले ही मशरूफ़ियत मिलने न दे
करोगे याद तो अपने पास पाओगे

मुकेश इलाहाबादी -------------------

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