शेर भालू बन्दर मिलेंगे
गिद्ध और कबूतर मिलेंगे
आदमी की खाल में तुम्हे
कितने रंगे सियार मिलेंगे
मियाँ शहर के हर हौराहे पे
चीता चित्तीदार मिलेंगे
घूम आओ सारी बस्ती
इंसान दो चार मिलेंगे
एक बात जान लो तुम
जानवर समझदार मिलेंगे
मुकेश इलाहाबादी ---------
गिद्ध और कबूतर मिलेंगे
आदमी की खाल में तुम्हे
कितने रंगे सियार मिलेंगे
मियाँ शहर के हर हौराहे पे
चीता चित्तीदार मिलेंगे
घूम आओ सारी बस्ती
इंसान दो चार मिलेंगे
एक बात जान लो तुम
जानवर समझदार मिलेंगे
मुकेश इलाहाबादी ---------
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