Pages

Saturday 31 May 2014

संभल के चलाकर

संभल के चलाकर
इतना न  डराकर

तू मुश्किलों में भी
फूल सा खिलाकर

माना कि तू बडा है
कुछ तो झुकाकर 

दिन रात क्यूँ चले
थोड़ा तो रुकाकर

मुकेश की ग़ज़ल
कभी तो सुनाकर

मुकेश इलाहाबादी --

No comments:

Post a Comment