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Thursday, 1 May 2014

मुहब्बत का सफ़र कौन रूह तक तय करता है ?

मुहब्बत का सफ़र कौन रूह तक तय करता है ?
तसव्वुर से हो के जिस्म पे जा कर रुक जाता है
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------------

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