जिसके नाम की चिट्ठी बाँचू
उसके नाम पे चुप रह जाऊँ
मै लाज शरम की ऐसी मारी
अपनी बातें उससे कह न पाऊँ
मुझसे करे इशारा छत पे आऊँ
कि दिल मोरा धड़के मै,न जाऊं
मार कंकरिया संग फेंका चिट्ठी
घबराऊँ,एक सांस में पढ़ जाऊं
मुकेश इलाहाबादी --------------
उसके नाम पे चुप रह जाऊँ
मै लाज शरम की ऐसी मारी
अपनी बातें उससे कह न पाऊँ
मुझसे करे इशारा छत पे आऊँ
कि दिल मोरा धड़के मै,न जाऊं
मार कंकरिया संग फेंका चिट्ठी
घबराऊँ,एक सांस में पढ़ जाऊं
मुकेश इलाहाबादी --------------
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